विदिशा में श्री रामलीला प्रतिवर्ष 14 जनवरी से प्रारंभ होती है। जिसमें भगवान श्री राम की लीला का बहुत ही सुंदर एवं शानदार पूर्ण तरीके से नॉट्य मंचन होता है। राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी लायन अरुण कुमार सोनी अखिल भारतीय स्वर्णकार महासभा ने बताया कि श्री रामलीला मेला लगभग एक माह तक चलता है। जिसमें बाहर से भी बहुत से दुकानदार, झूले और तरह-तरह के मनोरंजन के साधन आते हैं और मेले को रोचक बनाते हैं। यह मेला इस वर्ष 123 में साल में प्रवेश कर गया है। जो की बहुत ऐतिहासिक है। आज जुलूस में शिव भगवान दूल्हा बनकर बैठे, जो की पार्वती जी को ब्याहने निकले हैं। विमान में देवता गण, बराती और भूत पिशाच आदि सभी सवार थे। मानसेवी सचिव डॉक्टर अनिल शर्मा ने बताया कि 36 साल पहले शिव बारात बैलगाड़ी में निकलती थी। रामलीला के पहले दिन से बारात 47 साल से निकल रही है। प्रारंभ में यह रामलीला के आसपास ही चक्कर लगाती थी। 1987 के बाद कुछ साल ट्रैक्टर ट्राली में और बाद में रथ के जरिए शिव बारात निकालने की परंपरा शुरू हुई। भगवान शिव जी की बारात में सबसे आगे अश्वारोही दल चल रहा था। उसके पीछे भगवान विष्णु, ब्रह्मा, देवराज इंद्र, सूर्य, चंद्र अन्य देवी देवता और ऋषि मुनीगण अपने विमान में सवार होकर चल रहे थे। बारात में सबसे पीछे भगवान शिव अपने प्रमुख गणो नंदी श्रृंगी के साथ चल रहे थे। शिव बारात में दो बग्घी, दो रथ, दो घोड़े, दो बैंड दल वाले, सात ढोल वाले, पांच देवताओं के विमान, लाइटिंग के लिए तीन जनरेटर सेट सहित अनेक वाहन शामिल हुए। यह बारात माधवगंज से निकासा रोड, तिलक चौक, बड़ा बाजार, बजरिया होते हुए रामलीला प्रांगण पहुंची। जहां पर सभी बारातियों का पलक पांवड़े बिछाकर जोरदार स्वागत किया गया।