श्री कैलाश प्रसून सारंग जी की स्मृति में भोपाल में पांच दिवसीय शिव महापुराण का शुभारंभ

भोपाल में पहले ही दिन पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने सुनी शिवमहापुराण कथा, अब तक का सबसे बड़ा और भव्य आयोजन, शिवमय हुआ भोपाल

आयोजन समिति ने पंडाल और बढ़ाने का लिया निर्णय

शिव कृपा के बिना हम जीवन में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकते – पं. प्रदीप मिश्रा जी महाराज

हम उस सनातन धर्म में जन्मे हैं जो सारे विश्व को दिशा प्रदान कर रहा है – विश्वास कैलाश सारंग

भोपाल सुखदेव सिंह अरोड़ा। राजधानी के नरेला विधानसभा क्षेत्रांतर्गत करोंद में स्वर्गीय कैलाश प्रसून सारंग की स्मृति मे पांच दिवसीय शिव महापुराण कथा का शुभारंभ हुआ। विश्व विख्यात कथा प्रवक्ता पं. प्रदीप मिश्रा जी महाराज ने लाखों श्रद्धालु श्रोताओं की उपस्थित मे शिव कथा का शुभारंभ करते हुए कहा कि राजा भोज की नगरी भोपाल पर शिव की महान अनुकंपा है, जो यहां महामृत्यंजय शिव पुराण कथा आयोजित हो रही है, जिसमें पहले ही दिन इतनी बड़ी संख्या मे श्रद्धालुओं का पहुंचना भी भगवान शंकर की अनुकंपा है। वास्तव में आज भोपाल शिवमय हो गया है। कथा के शुभारंभ पूर्व चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग और उनकी धर्म पत्नी रूमा सारंग जी ने व्यास पीठ की पूजा अर्चना की। इस अवसर पर अपने संक्षिप्त उद्बोधन मे मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि हम उस सनातन धर्म में जन्में हैं जो सारे विश्व को दिशा प्रदान कर रहा है और भारत विश्व गुरु की भूमिका निभा रहा है।सारंग ने कथा पंडाल में पहले ही दिन पांच लाख से भी ज्यादा लोगों की उपस्थिति को देखकर अपनी ओर से आभार व्यक्त किया और श्रद्धालुओं से करबद्ध होकर बार-बार पूंछा कि किसी को किसी तरह की कोई समस्या तो नहीं है। हमारी पूरी कोशीश है कि आप श्रद्धावानों को कोई परेशानी न हो और यदि किसी कारण से होती भी है तो मैं बार-बार हाथ जोड़कर क्षमा चाहता हूं। व्यासपीठ की पूजन उपरांत कथा पंडाल मे उपस्थित साधुसंतों से भी सारंग ने आशीर्वाद प्राप्त किया।

शिवकथा का वाचन करते हुए पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि भगवान शंकर की करूणा और कृपा संपूर्ण विष्व में व्याप्त है उनकी कृपा दृष्टि से ही यह जगत संचालित है। जब तक शिव की कृपा नहीं होती जीवन में हम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा सकते। उन्होंने बताया कि शिवपुराण में चौबीस हजार श्लोक हैं उनमें से एक श्लोक ही नहीं बल्कि एक शब्द मात्र को भी अपने जीवन मे धारण करने से इस मानव देह का हेतु सिद्ध हो जाता है। उन्होंने कहा हमें मनुष्य का शरीर तो मिल गया लेकिन हमने इसके महत्व को नहीं समझा तो सब बेकार है। मानव देह का महत्व भगवान की भक्ति में है। उन्होंने बताया कि शिव अत्यंत दयालु महादेव हैं। शिवमहापुराण में देवराज ब्राम्हण का दृष्टांत देते हुए उन्होंने विश्वास दिलाया कि ह्दय से किया गया मंत्रजाप हमारे जीवन को सफल बना देता है। इस अवसर पर भोपाल नगर निगम की महापौर श्रीमती मालती राय, विवेक सारंग, विजय सिंह, बृजमोहन पचौरी, डी.के. सक्सेना, सुशील वाजपेयी, सूर्यकांत गुप्ता, अशोक वाणी, आनंद अग्रवाल, बब्लेश राजपूत, गीता माली, विकास पटेल, श्रद्धा दुबे, ममता विश्वकर्मा, अजय श्रीवास्तव ‘‘नीलू’’, नितिन पाठक, हेमराज कुशवाह, विनोद साहू, प्रमोद नेमा, ललित जैन, वीरेन्द्र पाठक, पप्पू राय सहित बड़ी संख्या मे गणमान्यजन उपस्थित रहे।

बड़ी संख्या मे उपस्थित रहे साधु संत

कथा पंडाल में लाखों श्रद्धालुओं के बीच साधु संत भी बड़ी संख्या में शामिल हुए गुफा मंदिर महंत रामप्रवेशदास जी महाराज, षडदर्शन साधु समाज के प्रमुख कन्हैयादास उदासीन, अखिल भारतीय संत समिति के कार्यकारी अध्यक्ष महंत अनिलानंद उदासीन, महंत राधामोहन दास, महंत लोकनाथ, महत मणिराम दास व आचार्य गंगाप्रसाद दुबे, विशेष रूप से उपस्थित रहे।

हरदा के छात्र अनुज ने नौ मिनट तक किया शंखनाद

मध्यप्रदेश के जिला हरदा से आए कक्षा आठवीं के छात्र 13 वर्षीय अनुज तिवारी ने लगातार नौ मिनट तक शंखनाद करके उपस्थित जनों को भावविभोर कर दिया।

एक लोटा जल सारी समस्याओं का हल

उपस्थित श्रोता समुदाय को शिव भक्ति के लिए बार-बार प्रेरित करते हुए पं. प्रदीप मिश्रा ने कहा कि हर श्वास में ओम नमः शिवाय मंत्र का जप कीजिए और जीवन में जो भी समस्यायें हों उनके समाधान के लिए व्यर्थ मत भटकिए बल्कि श्रद्धा पूर्वक शिव को रोज जलार्पण कीजिए अर्थात एक लोटा जल सारी समस्याओं का हल।

प्रेरक वचन

जिस तरह हमारा अटैचमेंट अटैची से नहीं बल्कि उसमें रखी कीमती वस्तुओं से होता है वैसे ही अपनी देह में आत्मा और परमात्मा से अटैचमेंट कीजिए।

अपने बच्चों को हरहाल में संस्कारित बनाइए ।

बच्चों को जल का लोटा पकड़ाइए कोल्ड्रिंक की बाटल नहीं।

बच्चों को सर्वप्रथम संस्कार माता-पिता ही दे सकते हैं ।

जिसके बच्चे मंदिर की सीढ़ी चढ़ जाते हैं उस घर के बुजुर्ग वृद्धाश्रम नहीं जाते ।

घर में बनाओगे अनुशासन तो पैदा नहीं होगा दुशासन ।

रक्त सिर्फ रक्त होता है रक्त की कोई जात नहीं होती ।

परमात्मा के द्वार पर जाति नहीं बल्कि कर्म देखा जाता है।

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