भोपाल। क्या भारत के लोकतंत्र का भविष्य अब बयानबाजी के भरोसे तय होगा? क्या संवैधानिक संस्थाओं पर बेबुनियाद हमले अब राजनीतिक रणनीति बन गए हैं? इन सवालों के बीच देश की बड़ी हस्तियों—सेवानिवृत्त जज, पूर्व नौकरशाहों और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों—ने विपक्ष के नेता और कांग्रेस पर ऐसा हमला बोला है जिसे नजरअंदाज करना आसान नहीं। 272 प्रतिष्ठित नागरिकों ने खुला पत्र लिखकर चुनाव आयोग, न्यायपालिका और संसद जैसी संस्थाओं पर विपक्ष के लगातार हमलों की कड़ी निंदा की है।
भाजपा का पलटवार—’राजनीति नहीं, अब देश की संस्थाओं पर वार!’
इस पूरे विवाद पर मध्यप्रदेश भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश केसवानी ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर सीधा हमला करते हुए कहा, “ये केवल 272 लोगों का पत्र नहीं है, ये कांग्रेस के झूठ और भ्रम की राजनीति के खिलाफ सच्चाई का सीधा चार्जशीट है। इन लोगों को सामान्य व्यक्ति मत समझिए, ये वो लोग हैं जिन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी देश, संविधान और लोकतंत्र की रक्षा में लगा दी। जब ये लोग बोल रहे हैं, तो समझ लीजिए कांग्रेस सिर्फ हार नहीं रही, बल्कि देश की संस्थाओं पर हमला कर रही है, लोकतंत्र को बदनाम कर रही है। कांग्रेस और राहुल गांधी अब सिर्फ आरोपों की राजनीति में नहीं, बल्कि ‘झूठ की इंडस्ट्री’ चला रहे हैं। राहुल गांधी को सुन लेना चाहिए—सियासत सिर्फ टीवी कैमरे के सामने खड़े होकर EVM और संस्थाओं पर कीचड़ उछालने से नहीं चलती। देश की जनता इन झूठों से बौखला नहीं रही, बल्कि अब जवाब देने के मूड में है। जब आप जनता का भरोसा खो दें, तो फिर EVM पर ठीकरा फोड़ना आपकी मजबूरी बन जाती है। राहुल गांधी को ये बात गांठ बांध लेनी चाहिए, जो कभी जनता के दर्द में साथ नहीं खड़ा रहता, वो हमेशा आरोपों के सहारे राजनीति करता है। जिस दिन आप जनता के बीच जाकर उनका दर्द समझेंगे, उसी दिन जनता आपको वोट भी देगी और इज्जत भी। लेकिन जब आप जनता के बीच गए ही नहीं, तो फिर बार-बार EVM को चोर बताना बंद कीजिए। सच ये है कि EVM नहीं, आपकी सोच नकली और फर्जी है। कांग्रेस आज इतनी नीचे गिर चुकी है कि अब उसे देश की सेना, न्यायपालिका, संसद और चुनाव आयोग सब पर शक है…सिर्फ खुद पर भरोसा नहीं। जिस पार्टी को हर संस्था पर शक हो, उस पर देश को कैसे भरोसा होगा?”
पत्र में क्या लिखा?
पत्र में साफ लिखा गया है, “हम, सिविल सोसाइटी के वरिष्ठ नागरिक, इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं कि भारत के लोकतंत्र पर बल प्रयोग से नहीं, बल्कि उसकी आधारभूत संस्थाओं के विरुद्ध जहरीली बयानबाजी की बढ़ती लहर से हमला हो रहा है। कुछ राजनेता, वास्तविक नीतिगत विकल्प प्रस्तुत करने के बजाय, अपनी नाटकीय राजनीतिक रणनीति के तहत भड़काऊ लेकिन निराधार आरोपों का सहारा लेते हैं।” पत्र में आगे तीखी चेतावनी देते हुए लिखा गया, “भारतीय सशस्त्र बलों के पराक्रम और उपलब्धियों पर सवाल उठाकर और न्यायपालिका, संसद और उसके संवैधानिक पदाधिकारियों की निष्पक्षता पर सवाल उठाकर उन्हें कलंकित करने के उनके प्रयासों के बाद, अब भारत के चुनाव आयोग की बारी है कि उसकी ईमानदारी और प्रतिष्ठा पर व्यवस्थित और षड्यंत्रकारी हमले हों।” खुले पत्र में लोकसभा में विपक्ष के नेता को सीधे कटघरे में खड़ा करते हुए लिखा गया, “लोकसभा में विपक्ष के नेता ने चुनाव आयोग पर बार-बार हमला किया है और कहा है कि उनके पास इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि चुनाव आयोग वोटों की चोरी में शामिल है और उन्होंने दावा किया है कि उनके पास 100 प्रतिशत सबूत हैं।”