सन्दर्भ ग्रंथ “सहस्त्राब्दी”का लोकार्पण करते हुए विवेकानन्द केन्द्र कन्या कुमारी की उपाध्यक्ष पद्म श्री निवेदिता रघुनाथ भिड़े ने कहा कि भारतीय संस्कृति में स्वाध्याय और प्रवचन का विशेष महत्व है। स्वाध्याय सभी आयु के व्यक्ति अवश्य करना चाहिए । स्वाध्याय व्यक्ति की चिंतन क्षमता बढ़ाता है । प्रवचन का अर्थ भाषण नहीं वरन् प्रेरणादायी संदेश होते हैं ।
निवेदिता दीदी ने कहा कि हम भारतीय हिंदुओं को अपने धर्म से संबंधित साहित्य जैसे रामायण, भागवत, गीता , वेद पुराण आदि का अध्ययन करने की जीवन शैली बनाना चाहिए । उन्होने साहित्य की शक्ति का एक उदाहरण भी दिया । उन्होने बताया कि एक बार एक ईसाईयों के समूह को हिंदू संत ने सनातन धर्म की विशेषताओं का संदेश दिया जिसके परिणामस्वरूप वे सभी धर्म परिवर्तन कर सनातनी हो गए ।
उन्होंने कहा कि किसी भी धार्मिक पुस्तक का कम से कम ३ पृष्ठ प्रतिदिन पड़ना मनुष्य को अपनी दिनचर्या बनाना चाहिए। उन्होंने संदर्भ साहित्य को ज्ञान के उन्नयन में बहुत बड़ा अवदान बताते हुए सन्दर्भ ग्रंथ “सहस्त्राब्दी”और उसके संपादक रामभुवन सिंह कुशवाह की भूरि भूरि प्रशंसा की और कहा कि वे प्रतिवर्ष एक पुस्तक हम सबको देते आ रहे हैं।कार्यक्रम का अध्यक्षता करते हुए विवेकानन्द केन्द्र के प्रांत संचालक श्री मनोहर देव ने कहा कि श्री कुशवाह के साथ कई दशकों से यात्रा करते रहे है और उनकी रचनाधर्मिता हम सबको प्रेरणा देती है।उनकी इस आयु में भी अध्ययन,लेखन और सामाजिक कार्यों में सक्रियता प्रशंसनीय है। इस गरिमामय कार्यक्रम और केंद्र वर्ग का कुशल संचालन प्रो.(डॉ.)जितेंद्र गुप्ता ने किया।