स्वदेशी बीजों से बनी राखियों में भावनाएं बुनीं, पीएम और सीएम को भेजीं खास सौगात

इंदौर के लिंबोदी क्षेत्र स्थित “होम अगेन” में निवासरत मानसिक रूप से अस्वस्थ और उपचार के बाद स्वस्थ हो रही महिलाओं ने इस रक्षाबंधन के अवसर पर एक अनूठी और प्रेरणादायक पहल की है। इन महिलाओं ने तुलसी, सूरजमुखी, लौकी, खरबूज, करेला, भिंडी जैसे स्वदेशी बीजों से सुंदर व पर्यावरण-संवेदनशील राखियां तैयार की हैं।

इन राखियों के साथ भावनात्मक संदेश पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को भी भेजे गए हैं। यह पहल न केवल महिलाओं के कौशल और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है, बल्कि समाज को पर्यावरण-संरक्षण और समावेशिता का भी संदेश देती है। ग्रामीण आदिवासी समाज विकास संस्थान द्वारा संचालित “होम अगेन प्रोजेक्ट” का उद्देश्य मानसिक रूप से अस्वस्थ, निराश्रित और परिवार द्वारा त्यक्त महिलाओं को सुरक्षित, सम्मानजनक और घर-जैसा पुनर्वास देना है।

संस्था के निदेशक विजय धवले ने बताया हमारा प्रयास है कि मानसिक रूप से अस्वस्थ और उपचार से स्वस्थ हो रही महिलाओं को समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाए। उन्हें योग, कौशल प्रशिक्षण और मनोवैज्ञानिक सहयोग प्रदान किया जाता है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि 22 महिलाएं चार घरों में निवासरत हैं। अब तक संस्था ने 8 महिलाओं के परिजनों का पता लगाया, जिनमें से 5 महिलाओं को उनके परिवारों को सौंपा जा चुका है। शेष महिलाओं के लिए भी पुनर्मिलन की कोशिशें जारी हैं। “होम अगेन” मध्य भारत का पहला ऐसा पुनर्वास प्रोजेक्ट है, और वर्तमान में यह देश के 6 राज्यों में संचालित किया जा रहा है। बीजों से बनी राखियों की बिक्री से महिलाएं आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं और समाज में सकारात्मक उदाहरण स्थापित कर रही हैं।

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