एक बार फिर सजेगा मानवता का समागम

77वें वार्षिक निरंकारी संत समागम की तैयारियों का सौंदर्य

भोपाल। सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की असीम कृपा से संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा (हरियाणा) में हर वर्ष की तरह, इस वर्ष भी निरंकारी परिवार का 77वां वार्षिक संत समागम 16, 17 एवं 18 नवंबर 2024 को आयोजित होने जा रहा है। आध्यात्मिकता का आधार लिए इस समागम पर प्रेम, शांति और एकत्व का सन्देश दिया जाता है, जो निसंदेह समस्त मानवता के कल्याण के लिए होता है। सर्वविदित है कि इस संत समागम की भव्यता केवल इसके क्षेत्रफल से रेखांकित नहीं होती, बल्कि यहाँ देश-विदेश से पधारने वाले लाखों श्रद्धालु भक्तों के भावों से इंगित होती है। निरंकारी संत समागम मानवता का एक ऐसा दिव्य संगम होता है जहां धर्म, जाति, भाषा, प्रांत और अमीरी-गरीबी आदि के बंधनों से ऊपर उठकर सभी मर्यादित रूप से प्रेम और सौहार्द के साथ सेवा, सुमिरण और सत्संग करते हैं। यह उसी सन्देश का अनुसरण है जो सभी संतों, पीरों और गुरुओं ने समय-समय पर दिया है। इस तीन दिवसीय संत समागम में भक्ति के अनेक पहलुओं पर गीत, विचार और कविताओं आदि के माध्यम से भक्त अपने शुभ भाव प्रकट करेंगे। सतगुरु माता जी और निरंकारी राजपिता जी के प्रवचनों का अनमोल उपहार भी सभी को प्राप्त होगा। इस वर्ष सतगुरु माता जी ने समागम का विषय दिया है-‘विस्तार, असीम की ओर‘

निरंकारी संत समागम के विशाल रूप को प्रभावशाली और सुचारु रूप से आयोजित करने के लिए निरंकारी मिशन के भक्त एवं सेवादार देश के कोने-कोने से महीनों पहले ही आकर अपनी निष्काम सेवाएं समर्पित करते हुए तैयारियों में जुट जाते हैं। समागम सेवाओं का यह दृश्य अपने आप में अत्यंत प्रेरणादायक और मनोरम होता है। इस वर्ष भी देखा गया कि प्रातः काल से ही सेवाएं प्रारम्भ हो जाती हैं जहाँ हर आयु-वर्ग के नर-नारी अनेक प्रकार की सेवाओं को सरंजाम दे रहे हैं। सेवादारों के हाथों में मिटटी के तसले होते हैं और जुबान पर भक्ति भाव से भरे मधुर गीत। कहीं जमीन को समतल किया जा रहा है तो कहीं टेंट लगाए जा रहे हैं। सेवादल की वर्दी में भी नौजवान भाई- बहन अपने अधिकारियों के निर्देशानुसार ग्राउंड पर अनेक प्रकार की सेवाओं में रत्त हैं। लंगर, कैंटीन, प्रकाशन और ऐसी अनेक सुविधाएँ सुचारु रूप से चल रही हैं, जिनका रूप आने वाले दिनों में और विशाल होता चला जायेगा। देखने में जो सामाजिक गतिविधि लग रही है, उसका आधार पूर्णतः आध्यात्मिक है। सभी एक-दूसरे में परमात्मा का रूप देखकर एक-दूसरे के चरणों में ‘धन निरंकार जी’ कहते हुए झुक रहे हैं। ‘विद्या ददाति विनयम’ का ये जीवंत उदाहरण प्रतीत होता है। सबके चेहरों पर एक रूहानी आभा है, जो उनके मन के विश्वास और संतोष को प्रकट कर रही है। सेवा कर रहे इन भक्तों के हर्ष और आनंद की पराकाष्ठा तब देखने को मिलती है, जब सेवा करते हुए उन्हें अपने सतगुरु के दर्शन हो जाते हैं। उस पल गुरसिखों के हृदय झूमने लगते हैं, गाने लगते हैं, नाचने लगते हैं। इसी स्वर्गीय नजारे का सभी श्रद्धालु पूरा साल इंतजार करते हैं।

संत निरंकारी मंडल के सचिव एवं समागम के समन्वयक श्री जोगिन्दर सुखीजा ने बतलाया की सभी संतों के रहने, भोजन, शौच, स्वास्थ्य, सुरक्षा, आगमन-प्रस्थान व अन्य सभी मूल-भूत सेवाओं की तैयारी की जा रही है। राज्य के प्रशासन से भी हर प्रकार का सहयोग प्राप्त हो रहा है और समागम के आयोजन से जुड़े हर वैधानिक पहलू को ध्यान में रखते हुए ही सारी व्यवस्था की जा रही है। कुछ ही दिनों में ये आध्यात्मिक स्थल एक ‘भक्ति के नगर’ का रूप ले लेगा जहाँ विश्व से लाखों संत महात्मा सम्मिलित होंगे। मानवता के इस महासंगम में हर धर्म-प्रेमी भाई-बहन का हार्दिक स्वागत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *