निःसंतान दंपत्ति के घर भी किलकारी गूंज सकेगी और प्रदेश वासियों को टेस्ट ट्यूब बेबी की सुविधा मिल सकेगी
एम्स भोपाल में इस साल के अंत तक आईवीएफ सेंटर शुरू हो जाएगा जिससे निःसंतान दंपत्ति के घर भी किलकारी गूंज सकेगी और प्रदेश वासियों को टेस्ट ट्यूब बेबी की सुविधा मिल सकेगी। ये बातें प्रो. (डॉ) अजय सिंह ने विश्व आईवीएफ एम्ब्रयोलॉजिस्ट दिवस के अवसर पर शुक्रवार को एम्स भोपाल में “आईवीएफ में इन-विटो भ्रूण विकास और भंडारण’ विषय पर एक सीएमई और “आईवीएफ में ओवम पिक-अप और भ्रूण स्थानांतरण पर सिमुलेटर के साथ आईवीएफ कौशल प्रयोगशाला की भूमिका विषय पर एक कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कही।। प्रो. सिंह ने इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे जोड़ों के लिए जरूरी परामर्श के महत्व को बताते हुए पुरुष साथी में इनफर्टिलिटी का समय पर मूल्यांकन करने पर बल दिया। साथ ही उन्होंने मरीजों की बातों को ध्यान पूर्वक सुनकर उनके मन में बैठी भ्रांतियों को दूर करने को कहा।
आईवीएफ अर्थात् इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, इसे आम बोलचाल में टेस्ट ट्यूब बेबी भी कहते हैं। यह प्राकृतिक तौर पर गर्भधारण में विफल हुए दंपतियों के लिए गर्भधारण का कृत्रिम माध्यम होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्वभर में लगभग 40 लाख दंपत्ति और 1 करोड़ 80 लाख लोगों को बांझपन जैसी समस्या का सामना करना पड़ा है। लगभग 4 लाख बच्चों का जन्म एआरटी यानि एसिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलोजी के माध्यम से हुआ है।
इससे पूर्व प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रमुख डॉ के पुष्पलथा ने कहा कि इस दिन को मनाने की शुरुआत 1978 से हुई, जब आईवीएफ के जरिए पहले टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म हुआ। आईवीएफ उपचार मूल रूप से मरीज की आयु और उसके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। इस दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रभाकर तिवारी ने बताया कि मध्यप्रदेश में कुल 32 आईवीएफ सेंटर काम कर रहे हैं। जन स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी पहलू पर एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ) अजय सिंह का सदैव ही सहयोग मिलता है।
कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों द्वारा प्रतिभागियों को आईवीएफ की जटिलताओं और उससे निपटने के कौशल का प्रदर्शन भी किया। इसके अलावा आईवीएफ की पूरी प्रक्रिया के साथ-साथ इस दौरान अनुसरण किए जाने वाले प्रोटोकॉल भी बताए गए। कार्यक्रम में चीफ एम्ब्रयोलॉजिस्ट डॉ आकाश मोरे के अतिरिक्त मिलिटी अस्पताल की ले कर्नल डॉ प्रणया गुरमीत और एम्स भोपाल के डॉ देवाशीष कौशल ने भी भाग
लिया।