एम्स भोपाल जल्द ही बाल चिकित्सा न्यूरोलॉजी में डीएम कोर्स की शुरूआत करेगा, इसके अलावा एक स्ट्रोक क्लीनिक भी स्थापित किया जाएगा। कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ) अजय सिंह ने यह बातें बुधवार को न्यूरोलॉजी विभाग के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम मे कहीं। प्रो. सिंह ने सीमित संसाधनों के साथ बेहतर इलाज देने के लिए विभाग की सराहना करते हुए एक अंतर्विभागीय समेकित उपचार प्रणाली विकसित करने पर जोर दिया। कार्यक्रम में भाग लेने आए एम्स के पूर्व छात्रों से अपने सुझावों को भी साझा करने को कहा जिससे इलाज की और बेहतर सुविधाएं लोगों को उपलब्ध कराई जा सके। एम्स भोपाल के अध्यक्ष (डॉ) सुनील मलिक ने कहा कि आज न्यूरो के मामलों में 80% से अधिक मौतें मध्यम अथवा निम्न आय वर्ग के लोगों में होती है। इसमें अधिकतर मामले दुर्घटना के कारण हुई इंजरी के होते हैं। हमें अपनी आउटरीच गतिविधियों को बढ़ाकर मिर्गी को लेकर समाज में व्याप्त भ्रांतियों को मिटाना होगा। डॉ मलिक ने कहा कि प्रो. (डॉ) अजय सिंह के साथ मिलकर हम एम्स भोपाल में “सेंटर ऑफ न्यूरोसाइंस की स्थापना का प्रयास कर रहे हैं। एक डॉक्टर होने के नाते हमारे व्यवहार में नम्रता,उदारता, विनम्रता और सौम्यता होनी चाहिए।
इससे पूर्व विभाग की प्रमुख डॉ. प्रियंका वी कश्यप ने बताया कि पिछले दो सालों में न्यूरोलॉजी ओपीडी में मरीजों की संख्या 9 हजार से बढ़कर 18 हजार हो गई है, जबकि इस वर्ष केवल 6 महीनों में ही 10 हजार से अधिक मरीज इलाज ले चुके हैं। इस अवसर पर ‘ब्रेन हेल्थ फॉर ऑल थीम के साथ एक सीएमई भी आयोजित की गई। इस सीएमई में डॉ अग्रता शर्मा ने ब्रेन स्ट्रोक के बारे में बताते हुए कहा कि यह एक जानलेवा स्थिति है जो तब होती है जब मस्तिष्क के किसी हिस्से में पर्याप्त रक्त प्रवाह नहीं होता है। यह आमतौर पर मस्तिष्क में किसी धमनी के अवरुद्ध होने या रक्तस्राव के कारण होता है। रक्त की निरंतर आपूर्ति के बिना, उस क्षेत्र में मस्तिष्क की कोशिकाएँ ऑक्सीजन की कमी से मरने लगती हैं। इसके अलावा डॉ अंशुल सिंह, डॉ नीरेंद्र राय और डॉ अर्चना वर्मा ने भी ब्रेन हेल्थ के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।