गुरुद्वारा नानकसर में महाराजा रणजीत सिंह जी के जन्मदिवस पर सेमिनार, प्रेरक विचारों, प्रदर्शनी और गतका प्रदर्शन ने संगत को किया भाव-विभोर

भोपाल। गुरुद्वारा नानकसर, हमीदिया रोड में शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह जी के जन्मदिवस को समर्पित एक भव्य सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में श्री हजूर साहिब नांदेड़ से आए ज्ञानी भाई तनवीर सिंह और भाई राजकमल सिंह, तथा जम्मू से पधारे भाई हरमीत सिंह ने अपने प्रभावशाली विचारों से संगत को प्रेरित किया।
भाई तनवीर सिंह ने अपने विचार रखते हुए कहा कि जहाँ शक्ति होती है, वहाँ रास्ते स्वयं बन जाते हैं। उन्होंने कहा कि दृढ़ इच्छाशक्ति का होना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि महाराजा रणजीत सिंह जी अपनी कलगी सजाने से पहले श्री गुरु रामदास जी को शीश नवाते थे। मात्र 21 वर्ष की आयु में उन्हें राजगद्दी मिली थी, जो उनके अद्वितीय नेतृत्व और शौर्य का परिचायक है।
भाई राजकमल सिंह ने भोपाल की संगत को प्रेरित करते हुए बताया कि नांदेड़ में 2022 से महाराजा रणजीत सिंह का जन्मदिवस मनाने की परंपरा जारी है और अब भोपाल में भी यह उत्सव विशेष उत्साह के साथ मनाया जा रहा है।
जम्मू से आए भाई हरमीत सिंह ने महाराजा रणजीत सिंह के ऐतिहासिक योगदानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उन्होंने 39 वर्षों तक राज किया और सिख समुदाय ने 80 वर्षों तक जंगलों में संघर्ष करते हुए अहमद शाह अब्दाली जैसी ताकतों को परास्त कर दिया था। उनके साम्राज्य का विस्तार इतना विशाल था कि उसमें आज के भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और चीन के क्षेत्र सम्मिलित थे। जिस कोहिनूर हीरे को राजाओं का गौरव माना जाता था, वही कोहिनूर महाराजा रणजीत सिंह जी ने अपनी बहादुरी से जीता और बाजू पर धारण किया।
कार्यक्रम में गुरु नानक हायर सेकेंडरी स्कूल तथा गुरुद्वारा माता साहिब कौर के बच्चों द्वारा मधुर कीर्तन किया गया। सिख मार्शल आर्ट गतका का भी शानदार प्रदर्शन हुआ, जिसने वातावरण को उत्साह और गर्व से भर दिया।

महाराजा रणजीत सिंह के जीवन, पराक्रम और सिख इतिहास से संबंधित एक विशेष प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसे संगत ने बड़ी रुचि के साथ देखा।
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष परमवीर सिंह वजीर ने बताया कि समागम की शुरुआत कीर्तन से हुई और कार्यक्रम का समापन गतका प्रदर्शन के साथ हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि इस वर्ष संगत का उत्साह देखकर कमेटी निर्णय लेगी कि अगले वर्ष से इस कार्यक्रम को तीन दिनों तक आयोजित किया जाए। महाराजा रणजीत सिंह की वीरता और गौरवमयी विरासत को समर्पित यह आयोजन संगत के लिए प्रेरणादायक और अविस्मरणीय रहा।

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