पाकिस्तान में जिस समय शहबाज शरीफ सरकार और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान के बीच टकराव घटाने की पहल आगे बढ़ रही है, शरीफ की पार्टी के एक नेता के बयान ने माहौल बिगाड़ दिया है। तसनीम हैदर नाम के इस नेता ने कहा है कि इमरान खान और केन्या में मारे गए पाकिस्तान पत्रकार अरशद शरीफ की हत्या की साजिश में खुद पीएमएल (एन) सुप्रीमो नवाज शरीफ शामिल थे।
पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) ने तुरंत इस बात का खंडन किया कि हैदर का उससे कोई संबंध है। जबकि हैदर ने लंदन में पाकिस्तानी पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया कि वे पिछले पांच साल लंदन में पीएमएल (नवाज) का प्रवक्ता हैं। उन्होंने दावा किया- ‘मेरी मियां नवाज शरीफ के साथ तीन बैठकें हुईं। इनमें एक बैठक आठ जुलाई और दूसरी 20 सितंबर को हुई। उसके बाद एक और बैठक 29 नवंबर को हुई। इन बैठकों में नवाज शरीफ ने हत्या की साजिशों पर अमल में मेरी मदद मांगी।’ हैदर ने दावा किया कि नवाज शरीफ ने उनसे शूटर्स (गोली चलाने वाले व्यक्ति) का इंतजाम करने को कहा।
इमरान खान पर तीन नवंबर को पंजाब प्रांत के वजीराबाद में हमला हुआ, जिसमें गोलियां लगने से वे घायल हो गए थे। ये बयान आने के बाद पीएमएल (एन) की नेता और सूचना मंत्री मरियम नवाज ने कहा कि हैदर लंदन में पार्टी का प्रवक्ता नहीं हैं। मरियम ने कहा- ‘हैदर का पीएमएल (एन) से कोई संबंध नहीं है। अगर उनके पास कोई सबूत हैं, तो उसे संयुक्त जांच समिति (जेआईटी) के सामने रखना चाहिए।’ जेआईटी इमरान खान पर हुए हमले की जांच कर रही है।
इस बीच इमरान खान ने पिछले कुछ दिनों में अपना सुर नरम किया है। इसे एस्टैब्लिशमेंट (सेना और खुफिया नेतृत्व) से संबंध सुधारने की उनकी कोशिश के रूप में देखा गया है। पहले उन्होंने कहा था कि शरीफ सरकार जिसे भी जनरल कमर जावेद बाजवा की जगह नया सेनाध्यक्ष बनाएगी, वह उन्हें मंजूर होगा। रविवार को उन्होंने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाने में एस्टैब्लिशमेंट का हाथ नहीं था। जबकि पहले वे एस्टैब्लिशमेंट पर ऐसा आरोप लगा रहे थे।
इमरान खान के रुख में आए बदलाव के साथ ही शरीफ सरकार ने पहली बार उनसे संवाद कायम करने की कोशिश की है। अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अपनी एक खास रिपोर्ट में बताया है कि इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) से शरीफ सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने संपर्क बनाया है। इसके पहले बीते शुक्रवार को वित्त मंत्री इशहाक डार ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी से मुलाकात की थी। बताया जाता है कि उन्होंने राष्ट्रपति के सामने राजनीतिक संवाद से राजनीतिक मुद्दों को हल करने की पेशकश रखी। अल्वी पीटीआई से संबंधित रहे हैँ।
बताया जाता है कि अल्वी ने सरकार की पेशकश पीटीआई नेतृत्व को बताई। इस पर पीटीआई नेतृत्व ने भी बातचीत की इच्छा जताई और राष्ट्रपति को इसे आगे बढ़ाने के लिए अधिकृत किया। उसके बाद से डार तीन बार राष्ट्रपति से मिल चुके हैं। वैसे सार्वजनिक तौर पर पीटीआई ने यही है कि वह आम चुनावों की तारीख का तुरंत एलान चाहती है।