तारा सेवनिया गांव की गीता मीणा आज सैकड़ों महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। कभी केवल घरेलू कार्यों और पशुपालन तक सीमित गीता ने अब न सिर्फ आर्थिक आत्मनिर्भरता हासिल की है, बल्कि समाज में भी अपनी अलग पहचान बनाई है।
गीता बताती हैं कि एक समय था जब वे केवल गृहकार्य तक सीमित थीं, लेकिन गांव की अन्य महिलाओं को स्व-सहायता समूहों से जुड़कर आत्मनिर्भर बनते देखा, तो उनके भीतर भी आगे बढ़ने की ललक जगी। वर्ष 2018 में उन्होंने मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ‘कविता स्व-सहायता समूह’ की सदस्यता ली, और यहीं से उनके जीवन में बदलाव की शुरुआत हुई।
घरेलू ज़िम्मेदारियों के साथ-साथ उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में कार्य करना शुरू किया। वर्तमान में उनके पास तीन गायें और पाँच भैंसें हैं, जिनसे वे प्रतिदिन 40 से 50 लीटर दूध बेचती हैं। इसके अलावा वे सिलाई, कढ़ाई और समूह में बुक कीपर का कार्य भी करती हैं।
उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें जिले की “लखपति दीदी” की सूची में शामिल कर दिया है — वे महिलाएं जो अब लाखों की सालाना आय अर्जित कर रही हैं। गीता न केवल अपने बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्च स्वयं उठा रही हैं, बल्कि आत्म-सम्मान और पहचान का नया अध्याय भी लिख रही हैं।
वे कहती हैं, “अजीविका मिशन ने न केवल आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि जीवन को जीने का नजरिया भी दिया। आज जब मैं अपने बच्चों की जरूरतें खुद पूरी करती हूं, तो आत्मविश्वास और संतुष्टि का भाव भीतर से जागता है। यह बदलाव मेरे लिए सपना सच होने जैसा है।”
गीता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मोहन यादव के प्रति आभार जताते हुए कहा, “इन योजनाओं के माध्यम से हम जैसी ग्रामीण महिलाओं को आगे बढ़ने का अवसर और आत्मसम्मान मिला है। अब हम भी अपने सपनों को साकार कर सकती हैं।”