राज्य साइबर पुलिस भोपाल ने बंद कमरा खुलवाकर बाहर निकाला और करोड़ों रुपए की ठगी होने से बचाया
पीड़ित विवेक ओबेरॉय ने पुलिस के कार्य की तारीफ करते हुए धन्यवाद किया
राज्य साइबर पुलिस भोपाल द्वारा संभवतः देश में पहली बार किसी व्यक्ति को लाइव 6 घंटे डिजिटल अरेस्ट में रहने के दौरान उसके बंद कमरे को खुलवाकर त्वरित बाहर निकाला गया एवं निश्चित तौर पर डिजिटल अरेस्ट से होने वाली करोड़ों रुपए की ठगी होने से बचाया गया।
भोपाल। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राज्य साइबर पुलिस मुख्यालय भोपाल योगेश देशमुख द्वारा साइबर क्राइम के प्रकरणों में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने एवं त्वरित कार्यवाही करने के साथ आमजन के बीच सायबर अपराधी के प्रति जागरुकता फैलाने तथा उन्हें सायबर ठगी का शिकार होने से बचाने के दिशा-निर्देश जारी किये गए थे। इसी क्रम में 9 नवम्बर को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक योगेश देशमुख को अरेरा कॉलोनी भोपाल निवासी एक व्यक्ति के डिजिटल अरेस्ट होने की सूचना मिली जिसके बाद उप पुलिस महानिरीक्षक मो. यूसुफ कुरैशी को पुलिस टीम भेजकर पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट से मुक्त कराने के लिए निर्देशित किया गया। उप पुलिस महानिरीक्षक कुरैशी द्वारा उक्त मामला संवेदनशील होने से अत्यंत गंभीरता पूर्वक लेते हुए तत्काल पुलिस टीम को अपने पर्यवेक्षण में पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट करते वाले अज्ञात जालसाजों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए निर्देशित किया।
पुलिस टीम बिना एक पल गवाए अरैरा कोलोनी भोपाल स्थित पीड़ित विवेक ओबेरॉय (दुबई में कॉपोरेट सैमटर उद्यमी) के घर पहुंची एवं टीम ने पाया कि पीड़ित को अज्ञात सायबर जालसाजी द्वारा फर्जी TRAI Legal cell ऑफिसर मुंबई साइबर क्राइम सेल ऑफिसर Sub Inspector Vikram Singh और सीबीआई ऑफिसर IPS-DCP Manesh Kalwaniya नाम से फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर पीड़ित के आधार कार्ड पर सिमै molicaed Marketing से जुड़ी होने तथा आधार कार्ड से विभिन्न राज्यों में फर्जी बैंक खाते खुले होने के नाम पर अत्यधित गंभीर रूप से डराकर, SKYPE App Download करा कर SKYPE वीडियो कॉलिंग पर 3 मोबाइल फोन तथा 1 लैपटाप पर दोपहर लगभग 1 बजे से उनके ही घर के एक कमरे में डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया है और पाया कि फर्जी डिजिटल पूछताछ/Surveillance के दौरान उनसे उनकी और उनके परिवार की निजी जानकारियां बैंकिंग डिटेल्स पूछी गई है एवं न बताने पर उन्हें धमकाया कि आपको गिरफ्तार किया जाएगा एवं परिवार के सदस्यों को नुकसान पहुंचाया जाएगा तथा परिवार के किसी भी सदस्य से इस डिजिटल अरेस्ट के संबंध में न बताने को कहा जो मौके पर फर्जी TRAL CBI, तथा मुंबई क्राइम ब्रांच पुलिस अधिकारी से टीम द्वारा अपना पुलिस का परिचय देकर बात की गई और उनके उनकी ID verification के लिए मांगी गई तो जालसाजों द्वारा तत्काल फोन काट दिया गया और सारे SKYPE वीडियो Call disconnect कर दिए। साइबर टीम ने बाद में पीड़ित को समझाया एवं उन्हें फोन और लैपटाप की डिजिटल अरेस्ट की virtual दुनिया से बाहर निकाला गया। उन्हें बताया गया कि डिजिटल अरेस्ट जैसा देश में कोई प्रावधान नहीं है साथ उन्हें जालसाजी ने TRAI Legal Cell आफिसर CBI. मुंबई साइबर क्राइम मेल द्वारा money laundering अपराध में संलित होने के नाम पर जो भी नोटिस भेजे है वे पूरी तरह से फर्जी है। आप इन पर विश्वास न करें। तब जाकर उन्होने राहत की सांस ली। रियल टाइम पर उनके साथ निश्चित तौर पर उनके साथ होले होले वाली वित्तीय ठगी की होने से रोका गया जो उन्होंने स्वयं कहा कि यदि पुलिस टीम आज त्वरित उनके पास नहीं पहुँचती तो वे रुपये जालसाजों को करोड़ों रुपये ट्रान्सफर कर देते एवं पता नहीं कितने समय तक अपने ही घर में डिजिटल अरेस्ट की प्रताड़ना सहते।पीड़ित एवं उनके परिवार सदस्यों द्वारा मध्यप्रदेश पुलिस एवं राज्य सायबर पुलिस को हृदय में धन्यवाद दिया गया। पीड़ित द्वारा यह भी बताया गया कि दूसरे राज्य जाने की उनकी फ्लाइट थी जो डिजिटल अरेस्ट के कारण वो cancel करने वाले थे जो अब खुशी से एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गए। गौरतलब है कि हाल में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से कहा था कि “डिजिटल अरेस्ट से डरे नहीं रुके-सोचे-एक्शन ले” तथा इससे बचने के उपाय बताए।
साइबर क्राइम द्वारा एडवाइजरी जारी की गई है
देश में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई भी प्रावधान नहीं है तथा न ही कोई असली पुलिस अधिकारी/Telecom dept. अधिकारी फोन पर विडियो कॉल पर डिजिटल अरेस्ट होने के लिए कहता है, ऐसे कॉल मैसेज पास होने पर कोई प्रतिउत्तर न दे एवं उन नंबर्स की तत्काल ब्लॉक कर दें। कभी आपके साथ ऐसा होता है तो आप अपने नजदीकी पुलिस थाने पर जाकर या ऑनलाइन cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें।