एम्स भोपाल के फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग का स्थापना दिवस “सच्चाई को उजागर करें और मानवता की सेवा करें” थीम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर 8वां एकीकृत विष विज्ञान सत्र भी आयोजित किया गया, जो “भोपाल गैस त्रासदी-परिणाम” विषय पर केंद्रित था। कार्यक्रम में फोरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी, फार्माकोलॉजी, मेडिसिन, मनोचिकित्सा और पैथोलॉजी सहित विभिन्न विभागों के प्रतिभागियों ने भाग लिया।कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा कि ऐसे अवसर न केवल संस्थान की यात्रा और उपलब्धियों की याद दिलाते हैं बल्कि मिशन की प्राप्ति के लिए प्रयत्न करते रहने के लिए भी प्रेरित करते हैं। फोरेंसिक मेडिसिन के महत्व और मानवता की सेवा में इसके अमूल्य योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी के द्वारा बहुत सारी ऐसी बातें निकल कर आती हैं जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता। इससे पहले, उपस्थिति का स्वागत करते हुए विभाग प्रमुख प्रो. (डॉ.) अरनीत अरोड़ा ने कहा कि फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी मेडिको लीगल मामलों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और समाज के लिए उपयोगी है। यह छुपे हुए तथ्यों को सामने लाता है। एनएफएसयू भोपाल के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजेश यादव ने ‘भोपाल गैस त्रासदी के टॉक्सिड्रोम और भविष्य की सतर्कता” पर स्थापना दिवस भाषण दिया। उन्होंने कीटनाशकों के उपयोग और उनके दीर्घकालिक प्रभावों से संबंधित अधिक शोध की आवश्यकता के बारे में विस्तार से बताया। सत्र में डॉ. बीपी दुबे, डॉ. डी के सत्पथी और डॉ. बड़कुर ने भोपाल गैस आपदा के दौरान अपने अनुभव साझा किए। इस दौरान गैसीय जहर के फार्माकोकाइनेटिक्स और फार्माकोडायनामिक्स, गैसीय जहर में निदान और आपातकालीन प्रबंधन, नैदानिक विशेषताएं और दीर्घकालिक प्रबंधन (एमआईसी), ऑटोप्सी और मेडिको-कानूनी मुद्देः एक सिंहावलोकन, सामूहिक आपदा का मनोवैज्ञानिक पहलू और इसके परिणाम और टॉक्सिको एमआईसी में हिस्टोपैथोलॉजी विषयों पर भी सत्र आयोजित किये गए। इन सत्रों से प्रतिभागियों को एक-दूसरे से सीखने के लिए एक शानदार अवसर प्राप्त हुआ। विभिन्न विभागों के लगभग 70 प्रतिनिधियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।