सृजन: एक पहल-शक्ति से सुरक्षा की ओर” तथा “मैं हूं अभिमन्यु” अभियान का समापन

सामुदायिक पुलिसिंग के तहत चलाए जा रहे कार्यक्रमों 

से समाज में तैयार हो रहा भयमुक्त वातावरण 

सृजन और मैं हूं अभिमन्यु अभियान ने बालक-बालिकाओं काे जागरूक कर बढ़ाया उनका आत्मविश्वास 

करियर कॉलेज में आयोजित किया गया “सृजन: एक पहल-शक्ति से सुरक्षा की ओर” तथा “मैं हूं अभिमन्यु” अभियान का समापन समारोह

बच्चों ने देशभक्ति से ओतप्रोत सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी 

पीएसओ टू डीजीपी डॉ.विनीत कपूर ने दोनों अभियानों से जुड़े 350 बालक-बालिकाओं को प्रमाण-पत्र वितरित किए 

अभियान के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले व्यक्तियों को डीसीपी सुधीर अग्रवाल ने किया पुरस्कृत 

 

सुखदेव सिंह अरोड़ा,भोपाल। मध्य प्रदेश में बेटियों और महिलाओं के सशक्तिकरण और उन्हें सुरक्षा व सम्मान दिलाने के लिए अभिनव प्रयास किए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश पुलिस भी वंचितों-पीड़ितों को न्याय दिलाने के साथ ही सामाजिक सरोकार के कार्य भी कर रही है। आर्थिक रूप से कमजोर और गरीब परिवारों की बेटियों के उत्थान, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने व उनकी क्षमता के विकास के लिए पुलिस द्वारा प्रदेश में “सृजन: एक पहल-शक्ति से सुरक्षा की ओर” अभियान का तथा और बालकों के मन में महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना विकसित करने के उद्देश्य से “मैं हूं अभिमन्यु” अभियान का संचालन किया गया। इसके अंतर्गत पुलिस द्वारा मलिन बस्तियों में जाकर बालक-बालिकाओं को प्रशिक्षण दिया गया।

भोपाल के करियर कॉलेज में 4 अक्टूबर 2023, बुधवार को पुलिस और बचपन एनजीओ द्वारा “सृजन: एक पहल-शक्ति से सुरक्षा की ओर” और “मैं हूं अभिमन्यु” अभियान का समापन समारोह आयोजित किया गया, जिसमें सृजन अभियान से जुृड़ी बालिकाओं और “मैं हूं अभिमन्यु” से जुड़े बालकों ने विभिन्न प्रस्तुतियां दीं। बच्चों ने मार्शल आर्ट, गायन, नृत्य, पॉवर वॉक का प्रदर्शन कर अपने अनुभव साझा किए। इस अवसर पर “सृजन” व “मैं हूं अभिमन्यु” अभियान से जुड़े 350 बालक-बालिकाओं को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए। वहीं प्रधान आरक्षक सोनिया पटेल और आरक्षक गोविंद पाल के साथ अभियान से जुड़े पुलिस कर्मचारियों का भी इस दौरान सम्मान किया गया। समापन समारोह में एडिशनल डीसीपी महावीर मुजाल्दा, एडिशनल डीसीपी विक्रम सिंह रघुवंशी, एसीपी अंकिता खातरकर, महिला एवं बाल विकास विभाग से रामगोपाल यादव, करियर कॉलेज के चेयरमैन मनीष राजौरिया, कॉलेज के एडवाइज़र संजीव दीक्षित, बचपन एनजीओ की निहारिका पंसोरिया, सूबेदार ऋतुराज वारिवा सहित अन्य पुलिस अधिकारी-कर्मचारी, कॉलेज के पदाधिकारी और बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और उनके अभिभावक भी उपस्थित रहे। गोविंदपुरा थाना प्रभारी अवधेश सिंह तोमर,ऊर्जा डेस्क से प्रधान आरक्षक सोनिया पटेल ने विशेष योगदान दिया।

विविध वेशभूषा में नारी शक्ति का किया प्रदर्शन

कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया तत्पश्चात बालक-बालिकाओं ने मार्शल आर्ट का प्रदर्शन कर दर्शकों को रोमांचित कर दिया। इसके बाद “मैं हूं अभिमन्यु” अभियान से जुड़े बालकों व सृजन अभियान से जुड़ी बालिकाओं ने अपने अनुभव साझा किए। इसके बाद बालिकाओं ने हर क्षेत्र में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रदर्शित करते हुए उनकी वेशभूषा धारण कर फैंसी ड्रेस की आकर्षक प्रस्तुति दी। इसके बाद सृजन के बालक और “मैं हूं अभिमन्यु” अभियान के बालकों द्वारा नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति दी गई, जिसमें घरेलू हिंसा से संबंधित विषय को उठाकर सभी को जागरूक किया।

प्रशिक्षण के बाद बालक-बालिकाओं की निखरी प्रतिभा : डॉ. कपूर

डीजीपी के प्रिंसिपल स्टाफ ऑफिसर डॉ. विनीत कपूर ने बताया कि सृजन अभियान के अंतर्गत आयोजित शिविरों के दौरान इनडोर और आउटडोर गतिविधियों का संचालन किया गया। इस शिविर में बालिकाओं को उनके मौलिक अधिकारों, संविधान, करियर काउंसलिंग, योग, पीटी, स्वास्थ्य संबंधी गतिविधियों और शासन की जन हितैषी योजनाओं आदि की जानकारी दी गई। साथ ही मोटिवेशनल स्पीच, सायबर क्राइम पर कार्यशाला और आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देने के साथ ही उनकी छिपी प्रतिभा को भी निखारा गया। ये शिविर उदय, संगिनी, बचपन और आरंभ जैसी स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से आयोजित किए गए। इनमें विभिन्न गतिविधियों से संबंधित प्रशिक्षकों द्वारा बालिकाओं को प्रशिक्षण दिया गया।

डॉ.कपूर ने कहा कि जिस तरह का आत्मविश्वास प्रशिक्षण के बाद इन बालिकाओं में आया है, निश्चित ही वे अपने समुदाय में अपनी बस्ती में एक चेंज एजेंट के रूप में काम करेंगी। खुद भी घरेलू हिंसा, यौन शोषण की शिकार नहीं होंगी और अपने आसपास घरेलू हिंसा एवं यौन शोषण होने भी नहीं देंगी। इन बालिकाओं को विभिन्न पुलिस प्रशिक्षकों और अन्य विशेषज्ञों ने आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। पुलिस की भर्ती या अन्य नौकरियाें में बालिकाओं को इस प्रशिक्षण का लाभ मिलेगा। पुलिस द्वारा सामुदायिक पुलिसिंग के तहत चलाए गए सृजन और मैं हूं अभिमन्यु अभियान को जुवेनाइल जस्टिस कमेटी ने भी सराहा है।

अपराध पर नियंत्रण जनसहयोग बिना संभव नहीं : डीसीपी अग्रवाल

डीसीपी मुख्यालय सुधीर अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि पुलिस द्वारा सामुदायिक पुलिसिंग के तहत चलाए गए सृजन और मैं हूं अभिमन्यु अभियान समाज के लिए अत्यंत उपयोगी है। पुलिस का मूलभूत कार्य अपराधों व अपराधियों पर नियंत्रण करना है, जो जनसहयोग के बिना संभव नहीं है। लोगों की सोच बदलेगी तभी सकारात्मकता आएगी और समाज अपराधमुक्त बन सकेगा। सृजन और मैं हूं अभिमन्यु जैसे कार्यक्रमों से बच्चों की विचारधारा निश्चित तौर पर बदली है। इनकी विचारधारा बदलने से देश का भविष्य उज्ज्वल होगा, यही पुलिस का प्रयास है।

क्या है “सृजन” अभियान ?

सामुदायिक पुलिसिंग के अंतर्गत पुलिस द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर परिवार और मलिन बस्तियों में रहने वाली बालिकाओं के कल्याण के लिए ‘सृजन : एक पहल-शक्ति से सुरक्षा की ओर’ अभियान का संचालन किया गया। इस अभियान के तहत पुलिस ने मलिन बस्तियों में जाकर स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से बालिकाओं को मौलिक अधिकारों, करियर काउंसलिंग और आत्मरक्षा सहित अन्य प्रशिक्षण दिया। पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र और डीजीपी के प्रिंसिपल स्टाफ ऑफिसर डॉ. विनीत कपूर के नेतृत्व में भोपाल कमिश्नरेट के अलग-अलग क्षेत्रों में ये शिविर लगाए गए। प्रत्येक शिविर 15 दिवस का होता है, जिसमें विगत 16 महीनों में 1000 बालिकाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। साथ ही मैं हूं अभिमन्यु अभियान के अंतर्गत 300 बालकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

अब तक नौ शिविर आयोजित 

मध्यप्रदेश पुलिस ‘सृजन : एक पहल-शक्ति से सुरक्षा की ओर’ अभियान के तहत अब तक भोपाल में नौ शिविरों का आयोजन कर चुकी है। भोपाल कमिश्नरेट में प्रशिक्षण शिविर की शुरूआत जून 2022 में जाटखेड़ी स्थित एक स्कूल से हुई थी । इसके बाद से निरंतर प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं।

बालिकाओं और महिलाओं ने अनैतिक गतिविधियां रोकने में पुलिस का किया सहयोग 

‘सृजन : एक पहल-शक्ति से सुरक्षा की ओर’ अभियान के अंतर्गत प्रशिक्षण के पश्चात पुलिस लगातार इन बालिकाओं से संपर्क में रही और उनसे अपने क्षेत्र और बस्तियाें के बारे में जानकारी ली। बालिकाओं ने सहज रूप में समस्याओं के बारे में पुलिस को अवगत कराया और कानून एवं शांति व्यवस्था बनाए रखने और आपराधिक घटनाओं काे नियंत्रित करने में अपना योगदान दिया। मलिन बस्तियों में रहने वाली बालिकाओं ने प्रशिक्षित होने के बाद अन्य बालिकाओं और महिलाओं को भी प्रशिक्षण दिया और अनैतिक गतिविधियों को रोकने में पुलिस का सहयोग किया। ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां इन बालिकाओं की जागरूकता से पारिवारिक विवादों का निपटारा हुआ है।

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