भोपाल विलीनीकरण दिवस की पूर्व संध्या पर आतिशबाजी कर मनाया जश्न
सुखदेव सिंह अरोड़ा,भोपाल – भोपाल की आजादी की पूर्व संध्या पर आयोजित रंगारंग कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भोपाल के पूर्व महापौर एवं लोकसभा के प्रत्याशी आलोक शर्मा ने कहा कि भारत को अंग्रेजी हुकूमत से तो आजादी 15 अगस्त 1947 को मिल गई थी लेकिन भोपाल में 659 दिनों बाद झंडा फहराया जा सका। दरअसल भोपाल नबाब हमीदुल्ला खां नहीं चाहते थे कि भोपाल का विलय भारत गणराज्य में हो। वे भोपाल रियासत को पाकिस्तान में शामिल करना चाहते थे। जबकि भोपाल की जनता में इसको लेकर भारी आक्रोश था। पूरा देश जब आजादी की खुशियां मना रहा था भोपाल में सन्नाटा पसरा था। भोपाल की आजादी के लिए लोगों ने कमर कस ली और आंदोलन के तहत आगे बढ़े। नबाब के ख़ौफ़ से आंदोलन की गतिविधियां सीहोर के इछावर और रायसेन से संचालित होती थी। रायसेन जिले के बोरास में एक सभा के दौरान तिरंगा झंडा फहराया जा रहा था। उसी दौरान पुलिस ने लाठियां और गोलियां चलाई जिसमें 4 युवा शहीद हो गए लेकिन झंडे को झुकने नहीं दिया। बोरास में हुए गोलीकांड की खबर जब सरदार वल्लभभाई पटेल को लगी तो उन्होंने अपने सचिव बीपी मेनन को भोपाल भेजा था। यह घटना कोई साधारण नहीं थी। बाद में 1 जून 1949 को भोपाल को आजादी मिली। वर्तमान में खासतौर पर नई पीढ़ी को यह याद रखना चाहिए कि भोपाल को आजादी कैसे मिली। यह महत्वपूर्ण है। आजादी की 75 वी वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर भोपाल गेट पर भव्य आतिशबाजी की गई। पायरो और ढोल धमाकों के बीच लोगों नेफब्बारे छोड़े।
कल मनेगा विलीनीकरण दिवस
1 जून को पुराने शहर के भोपाल गेट पर प्रातः 9 बजे झंडावंदन कियाया जाएगा। इस दौरान बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित होकर भोपाल के गौरव की 75 वी वर्षगांठ का उत्सव मनाएंगे। ज्ञात रहे कि मध्यप्रदेश सरकार ने पूर्व महापौर आलोक शर्मा के प्रयासों पर मुहर लगाते हुए भोपाल के विलीनीकरण दिवस पर 1 जून को स्थाई सरकारी अवकाश घोषित किया है।