कैलाश प्रसून सारंग की स्मृति में आयोजित इस आध्यात्मिक कुंभ में सात लाख से ज्यादा श्रद्धालु जुटे

भोपाल में महाशिवपुराण की कथा सुनने मचला जन समुद्र

हेलमेट-सीट बेल्ट लगाते रहोगे और शिव को लोटा भर जल चढ़ाते रहोगे तो जीवन सुरक्षित रहेगा-पंड़ित मिश्रा जी महाराज

मंदिर केवल पूजा ही नहीं सामाजिक चेतना के केन्द्र भी होते हैं -विश्वास कैलाश सारंग

इस दुनियां में हर-हर महादेव से बड़ा कुछ भी नहीं- डॉ. नरोत्तम मिश्रा

भोपाल सुखदेव सिंह अरोड़ा। राजधानी के नरेला विधानसभा क्षेत्रांर्गत पीपुल्स मॉल के पीछे चल रहे शिवमहापुराण कथा को श्रवण करने जन समुद्र मचला। कैलाश प्रसून सारंग की पुण्य स्मृति में आज शिवपुराण कथा का तीसरा दिवस था, जिसमें सात लाख से ज्यादा लोगो ने कथा श्रवण की। इस अवसर पर कथा व्यास पंड़ित प्रदीप मिश्रा ने मानव देह के महत्व को बताया और इसे सुरक्षित रखने के उपाय सुझाये। उन्होंने कहा कि जो लोग अपना वाहन चलाते वक्त हेलमेट-सीट बेल्ट लगाते हैं और श्री शिव भगवान को लोटा भर जल चढ़ाते हैं उनका जीवन सुरक्षित बना रहता है। पंड़ित मिश्रा ने इस वृहद आयोजन के आयोजक चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग और पत्नी रूमा विश्वास सारंग को इस बात के लिए सौभाग्यशाली बताया कि उन्हें महाशिवपुराण कथा के इस विशाल आयोजन का मुख्य यजमान बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह उनके माता-पिता के पुण्यकर्म और पूर्व जन्म के पुण्यों का विशेष परिणाम है। सारंग जी धन्य हैं जिन्होंने शिवपुराण कथा कराकर राष्ट्र और संपूर्ण विश्व का उत्थान करा दिया। इस अवसर पर विश्वास सारंग ने व्यासपीठ पूजन की और अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि पंड़ित प्रदीप मिश्रा जी केवल शिवमहापुराण की कथा ही नहीं सुना रहे बल्कि समुचे विश्व में सनातन धर्म की ध्वज पताका फहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर केवल पूजन-पाठ ही नहीं बल्कि सामाजिक चेतना के केन्द्र माने जाते हैं। चाहे भोपाल हो या धरती का अन्य कोई स्थान गॉंव, नगर अथवा शहर इनमें सबसे ज्यादा मंदिर यदि किसी के हैं तो वो हैं देव आदि देव भगवान शिव शंकर के। महाआरती में गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा विशेष रूप से शामिल हुए इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस दुनिया में हर-हर महादेव से बड़ा और कुछ भी नहीं है। आरती पूजन में अवंतिका-सी.जे.पी. व्यौहार, आरती सारंग, उपासना त्यागी, रूमा सारंग, अस्मिका, देवांन, उत्सव, भौमिका सारंग सहित बड़ी संख्या में गणमान्यजन शामिल रहे।

मुक्ति के मार्ग से भवसागर पार कीजिए

पंड़ित मिश्रा जी ने कहा जिन्हें मुक्ति चाहिए वह भक्ति के मार्ग पर चलें। भक्ति के पथ पर चलो और मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करो। मुक्ति के मार्ग से ही भवसागर पार कर सकते हो।

कर्ज में और मर्ज में कोई साथ नहीं देता सिवाए शिव के

मनुष्य जब कर्ज में डूब जाता है और मर्ज अर्थात बीमारी से जकड़ जाता है तब कोई संसार का व्यक्ति नाते, रिश्तेदार, संबंधी और मित्र करीब नहीं आता केवल कैलाशवासी परमात्मा शिव ही हमारी सहायता करते हैं। सब मतलब के यार हमने देख लिया झूठे नाते झूठे रिश्ते झूठा है संसार हमने देख लिया।

सनातन धर्म में जन्म लेना कोटि-कोटि जन्मों के पुण्य फल का परिणाम

यह सनातन धर्म है संसार का सबसे महान धर्म जिसमें जन्म लेना मनुष्य के कोटि-कोटि जन्मों के पुण्य कर्मों का परिणाम है। जीव 84 लाख योनियों में भ्रमण करते हुए जब मनुष्य देह को प्राप्त होता है तब उसे पुण्यकर्म करने का और शिव पूजन का सौभाग्य प्राप्त होता है। पंड़ित मिश्रा जी ने कहा मनुष्य अभी जो सुख और सौभाग्य प्राप्त कर रहा है वो उसके पूर्व जन्म में किए दान पुण्य और सतकर्म का परिणाम है आगे भी इसी तरह सुख प्राप्त करना है तो भजन-पूजन और दान-पुण्य करते रहिए।

सभी सनातनी गौ माता को रोटी देते हैं

पंड़ित मिश्रा जी ने कहा लोगो का अपने सनातन धर्म को देखना चाहिए दूसरे के धर्म से क्या मतलब। भगवान की पूजा और गाय माता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है जो कि हम कर रहे हैं। कोई ऐसा करता है या नहीं लेकिन सनातन धर्म के लोग गौ माता को रोटी देते हैं।

जीते जी और मरने के बाद कोई साथ हैं तो वो हैं भगवान शिव

जिंदा हैं तो रिश्ते हैं, संबंधी हैं, मित्र हैं लेकिन मरने के बाद कोई किसी के साथ श्मशान में नहीं रहता उस वक्त हमारे साथ रहेंते हैं तो सिफ भगवान शिव-शंकर। जीते जी और मरने के बाद भी शिव ही हमारे साथ हैं।

हेलमेट-सीट बेल्ट लगाने में फायदा हमारा है सरकार का नहीं

पंड़ित प्रदीप मिश्रा जी ने दोपहियां-चार पहियां वाहन चलाने वाले लोगों को हेलमेट-सीट बेल्ट लगाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि हेलमेट-सीट बेल्ट लगाने से फायदा हमारा है सरकार का नहीं इसलिए अपने जीवन की सुरक्षा पर जरूर ध्यान दें। हेलमेट-सीट बेल्ट अवष्य लगायें।

कुआं-वावडी, नदियां और समुद्र में डूबकर मरने वालो की संख्या कम है ‘प्याली’ में डूब मरने वालों की ज्यादा

पंड़ित मिश्रा जी ने लोगो का शराब की लत से छुड़ाने की बिल्कुल नए अंदाज में प्रेरणां दी। उन्होंने चिंता जतायी कि इस समय देश-दुनिया में कुआं-वावडी, नदियां और समुद्र में डूबकर मरने वालो की संख्या कम है ‘प्याली’ में डूब मरने वालों की ज्यादा है। उन्होंने चिंता जताई कि गटर के पानी से वाहन नहीं चलते लेकिन लोग हैं कि गटर का पानी गटककर जिंदगी की गाड़ी दौड़ाना चाहते हैं आखिर कितने चलेंगे।

कायस्थ और गगरानी परिवार की ओर से रोजाना 7000 लोगों को खिचड़ी वितरण

कथा परिसर में रोजाना सुबह 7000 से ज्यादा लोगो के लिए खिचड़ी व्यवस्था की गई है इसके साथ ही श्रद्धालुओं की अन्य सभी जरूरतों का ध्यान रखा जा रहा है।

भोपाल के लोगों की तारीफ

पं. मिश्रा ने कहा कि जबर्दस्ती लोग भोपाली लोगों को गलत बोलते हैं। वे कहते हैं भोपाली बात-बात में अशब्द कहते हैं। मुझे यहां तीन दिन हो गए। यहां सब अच्छे से बोल रहे हैं। एक भी ऐसा नहीं मिला जो गड़बड़ बोला हो। दुनिया के लोग कहते रहेंगे, अपन तो भजन करों।

कोई और होती तो बोल देती कि मैं मंत्री की पत्नी हूं

कथा के दौरान पं. मिश्रा ने कहा, मैं देख रहा था कि मंत्री विश्वास सारंग जी और उनकी पत्नी रूमा जी जब पंडाल में चल रहे थे तो कई समर्थकों ने रूमा जी को पीछे कर दिया। कोई और होती तो वह कह देती कि मैं मंत्री की पत्नी हूं, लेकिन रूमा जी ने ऐसा नहीं किया। यही आपकी उदारता है।

धर्मपत्नी का सम्मान करें

खुद की धर्मपत्नी घर में है तो उसका सम्मान करों। वह चार कंपनियां खुलवा देगी। दूसरे की पत्नी पर निगाह गई तो वो तुम्हारी सारी कंपनी बंद करवा देगी। किसी दूसरी काल रात्रि को मत देख लेना। मंदिर पर लगे घंटे को अच्छे से देख लेना। वो दिनभर बजता है और कोई भी बजा देता है। तुम्हारी हालत भी वैसी ही हो जाएगी।

कई भक्तों के पत्र भी पढ़े

पं. मिश्रा ने श्रद्धालुओं के कई पत्र भी पढ़े। दोपहर 2 बजे से कथा शुरू हुई, जो शाम 5 बजे तक चली। कथा सुनने के लिए सुबह 8 बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। तीन बड़े डोम समेत आसपास लगे पंडाल खचाखच भर गए। कथा 14 जून तक चलेगी। दो दिन लाखों श्रद्धालु कथा में पहुंचे। कथा में पं. मिश्रा कई प्रेरक प्रसंग सुना रहे हैं। खासकर बच्चों को संस्कार देने और मंदिर में भेजने की समझाइश दे रहे हैं। कथा सुनने के लिए मध्यप्रदेश के अलावा महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान, छत्तीसगढ़ से भी श्रद्धालु आ रहे हैं।

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