दिग्विजय के सामने मैं उम्र में बच्चा लेकिन विचारधारा के लिए प्रतिबद्ध हूँ -रामेश्वर शर्मा

विधायक रामेश्वर शर्मा ने दिग्विजय सिंह की तुलना हिरण्यकशप से की, बोले सच कहो

भोपाल सुखदेव सिंह अरोड़ा। बीते दिनों कांग्रेस नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के एक बयान के बाद मध्यप्रदेश सियासी गलियारों में जुबानी जंग छिड़ गई है। दरअसल कुछ दिन पहले पत्रकारों से चर्चा के दौरान दिग्विजय सिंह ने कहा था कि “ये कहना गलत है कि मुसलमानों की जनसंख्या बड़ी है, जबकि मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ने के स्थान पर घटी है।” दिग्विजय सिंह के बयान के बाद भोपाल के विधायक रामेश्वर शर्मा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि “दिग्विजय सिंह भाजपा को नहीं, इंदिरा गांधी को चैलेंज दे रहे हैं, जो कहती थीं हम दो – हमारे दो”।

दिग्विजय सिंह और रामेश्वर शर्मा की क्रिया-प्रतिक्रिया के बाद यह मामला अब एक बार फिर गरमा गया है। दरअसल बुधवार को दिग्विजय सिंह ने फिर रामेश्वर शर्मा के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्हें बच्चा बताया। इस बयान के बाद विधायक रामेश्वर शर्मा ने दिग्विजय सिंह पर तीखा पलटवार किया जो कि सोशल मीडिया में सुर्खियों में छाया है। दिग्विजय सिंह की विचारधारा पर टिप्पणी करते हुए रामेश्वर शर्मा ने कहा है कि “उम्र के हिसाब से दिग्विजय सिंह जी के सामने मैं बच्चा हूँ, लेकिन राजनीति में विचारधारा के लिए पक्का हूँ। जो कि हिंदुत्व और जय श्री राम की है। यह मेरी देह भी है, प्राण भी है और प्रण भी है।

दिग्विजय सिंह को मुस्लिम परस्त नेता बताते हुए रामेश्वर शर्मा ने कहा कि “दिग्विजय सिंह की काली करतूत और कारनामे, मुस्लिम चाटुकारिता, मुस्लिम परस्त नीति और उनके द्वारा हिंदुओं को बार-बार अपमानित करना हिंदुओं का उपहास करना और मजाक उड़ाना आम हो गया है। जब उन्होंने यह साबित करने की कोशिश की कि जनसंख्या तो हिंदुओं की बढ़ रही है मुस्लिमों की तो कम हो रही है। तब दिग्विजय सिंह जी से मैने इतना पूछा था आजादी के बाद से मुस्लिमों की संख्या 2 करोड़ से 20 करोड़ हो गई, तो यह तो बताओ संख्या किसकी बड़ी? हम तो “हम दो हमारे दो” के नारे पर टिके हैं, वहां तो 5 के 25 के नारे पर काम हो रहा है, तो दिग्विजय सिंह जी! सत्य बोलो।

विधायक रामेश्वर शर्मा यहीं नहीं रूके, दिग्विजय सिंह की तुलना हिरण्यकशप से करते हुए बोले कि कभी-कभी छोटी उम्र के बच्चे भी बड़ों को सत्य बोलने के लिए विवश कर देते हैं। जैसे कि हिरण्यकशप को प्रहलाद ने विवश किया था, कि सत्य बोलो। उन्होंने आगे कहा कि दिग्विजय सिंह जी से हमारा इतना ही कहना है कि उम्र में तो मैं प्रहलाद हूं लेकिन इतनी प्रार्थना है कि कम से कम इतना सच तो बोलो जिससे तुम्हारा धर्म, तुम्हारा कुल, तुम्हारा खानदान, तुम्हारी वाणी से अपमानित ना हो।

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