78वां निरंकारी संत समागम : सेवाभाव, समर्पण और मानवता का अनूठा पर्व

आत्म मंथन से मन में व्याप्त कुरीतियों को दूर करें – सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

भोपाल। विविधताओं से भरे इस संसार में निरंकारी मिशन पिछले 96 वर्षों से ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना को आत्मसात कर मानवता का दिव्य संदेश दे रहा है। इसी कड़ी में इस वर्ष 78वां निरंकारी संत समागम ‘आत्म मंथन’ शीर्षक के साथ प्रारंभ हुआ, जिसका शुभारंभ सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित जी ने हरियाणा के समालखा में सेवा स्थल का उद्घाटन कर किया।

कार्यक्रम में मिशन की कार्यकारिणी समिति, केंद्रीय सेवादल अधिकारी और हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे। भोपाल जोन 24-ए से भी सैकड़ों अनुयायियों ने सेवाभाव से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

समागम सेवा के शुभारंभ अवसर पर सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा –समागम केवल एकत्रित होने का नाम नहीं, यह तो सेवा का प्रबल भाव है। हमें आत्ममंथन कर देखना चाहिए कि हमारा जीवन किस दिशा में जा रहा है। परमात्मा हम सबमें है, इसलिए अभिमान छोड़कर सभी का सम्मान करते हुए सेवा को अपनाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि निरंकार का सुमिरण ही जीवन को पवित्र और आनंदमय बनाता है। आत्म मंथन से मन की कुरीतियाँ दूर होती हैं और सच्चा जीवन मार्ग मिलता है। लगभग 600 एकड़ में फैला यह सेवा स्थल निस्वार्थ भाव का अनुपम उदाहरण है। लाखों भक्तों के लिए आवास, भोजन, स्वास्थ्य और सुरक्षा की व्यवस्थाएँ सेवाधार्मिक भाव से की गईं। देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने इसमें हिस्सा लिया और सेवा, समर्पण व आत्मिक आनंद का अनुभव किया। इस वर्ष का समागम मानवता, प्रेम और समानता का संदेश देते हुए आत्मा की शुद्धि और समाज में समरसता का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहा है। यह महाउत्सव केवल निरंकारी मिशन के अनुयायियों का ही नहीं, बल्कि समस्त मानवता का पर्व है।

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