डॉ. रुचि सिंह ने यूरोपीय अकादमी ऑफ न्यूरोलॉजी हेलसिंकी में अपना शोध कार्य प्रस्तुत किया

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) अजय सिंह संकाय और छात्रों के बीच अकादमिक उत्कृष्टता और ज्ञान-साझाकरण की संस्कृति को सदैव बढ़ावा देते रहते हैं। उनके मार्गदर्शन में, एम्स भोपाल ने विभिन्न शैक्षणिक मंचों पर उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। विभिन्न सम्मेलनों और कार्यशालाओं में संकाय सदस्यों की भागीदारी न केवल उनके कौशल को बढ़ाती है बल्कि उन्हें नवीनतम प्रगति के साथ अद्यतन भी रखती है। हाल ही में एम्स भोपाल में फिजियोलॉजी की प्रोफेसर डॉ. रुचि सिंह, ने 29 जून से 2 जुलाई, 2024 तक हेलसिंकी में आयोजित यूरोपीय अकादमी ऑफ न्यूरोलॉजी (ईएएन) सम्मेलन में अपना शोध प्रस्तुत किया। उनका शोध कार्य “रोगियों के मूड, नींद की गुणवत्ता, जीवन की गुणवत्ता और स्वायत्त शिथिलता (आटोमेटिक डिसफंक्शन) के साथ फाइब्रोमायल्जिया की गंभीरता का संबंध, रोगियों के जीवन पर फाइब्रोमायल्जिया के बहुमुखी प्रभावों के बारे में नई जानकारी प्रदान करता है। स्वायत्त शिथिलता तब होती है जब स्वायत्त तंत्रिका तंत्र, जो स्वास्थ्य और संतुलन बनाए रखने के लिए जिम्मेदार कार्यों को नियंत्रित करता है, ठीक से कार्य नहीं करता है।

डॉ. रूचि ने अपने शोध में फाइब्रोमायल्जिया से पीड़ित 100 रोगियों पर यह अध्ययन किया था, जिसमें उनके दर्द की गंभीरता और उनके स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं के बीच संबंध की जाँच की गई। अध्ययन में पाया गया कि स्वायत्त शिथिलता व्यक्तियों के बीच व्यापक रूप से भिन्न होती है और इसका फाइब्रोमायल्जिया की गंभीरता से सीधा संबंध नहीं होता है। यह स्वायत्त शिधिलता रोग की गंभीरता के बजाय दर्द के प्रति व्यक्तिगत प्रतिक्रियाओं को दर्शा सकती है। फाइब्रोमायल्जिया पर अपने काम के अलावा, डॉ. रूचि ने ‘स्वायत्त तंत्रिका तंत्र पर सिर और गर्दन के ट्यूमर के उपचार के प्रभाव पर एक और शोधपत्र प्रस्तुत किया। इस शोध ने सिर और गर्दन के ट्यूमर के लिए सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी और/या रेडियोथेरेपी करवा रहे रोगियों में स्वायत्त शिथिलता में धीरे-धीरे वृद्धि का संकेत दिया। डॉ. रूचि ने सर्जरी से पहले और बाद में और/या विकिरण दोनों में स्वायत्त कार्यों का आकलन करने के महत्वपूर्ण महत्व पर जोर दिया। समय पर किए गए ऐसे आकलन की सहायता से बीमारी को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सकती है. जिससे रोगी के परिणामों में सुधार हो सकता है। एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) अजय सिंह ने डॉ. रुचि सिंह को उनकी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।

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