श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज,महानद्दा,जबलपुर में गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादो के शहीदी दिवस को वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाया गया।सरदार गुरमीत सिंह अंतराष्ट्रीय सिख धर्म प्रचारक’ एवं महाविद्यालय प्रबंध समिति के सचिव स. ऍम एस चावला , एवं प्राचार्य डॉ. आर एस. चंडोकजी द्वारा कार्यक्रम का शुभाररम्भ किया गया। अमरदीप कौर ( सहायक प्राध्यापक) एवं कु दिव्य जोन के शबद ” सूरा सो पहचानिये जो बड़े दीन के हेत ” से हुआ हुआ ! प्राचार्य डॉ. आर एस. चंडोकजी ने कहा गुरु गोविंद सिंह के साहिब जादाँ ( अजीत सिंह, जुसार सिंह, जुरावर सिंह, फतेह सिंह ) ने धर्म की रक्षा हेतु कर्तव्यपालन, निडरता एवं साहस से सामना करते हुए बहादुरी से शहीद हो गये। उन्होंने कहा कि मैं आज के दिन उन महान शहीदों को कोटि कोटि, प्रणाम करता हूँ मुख्य वक्ता सरदार गुरमीत सिंह जी ने जी ने कहा की गुरु गोविंद सिंह के बेटों के बलिदान को याद करने के लिए आज 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मन रहे है इस दिन मुगलो के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हुए गुरु सिंह के चारों पुत्रों के शौर्य को याद करते है गुरु गोविंद सिंह और उनके पुत्रों की वीरता ने लाखों सिखों लोगों को प्रेरित किया। गुरु गोविंद सिंह के पुत्र साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह को मुगलों के द्वारा जिंदा दीवाल में चुनवा दिया गया था। दोनों ने खुशी-खुशी मौत स्वीकार कर ली लेकिन मुगलों के आगे अपने घुटने नहीं टेके। यह दिन गुरु गोविंद सिंह के पुत्रों के बलिदान से प्रेरित होकर अपने धर्म के प्रति जागरूक होने का है ।कार्यक्रम की अगली श्रृंखला में विद्यार्थियों के लिए भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न विद्यालय महा विद्यालय के 48 प्रतिभागियों ने बहग लिया जिसमें
प्रथम स्थान कुमारी ऋतू ठाकरे ( श्री गुरुनानक स्कूल )
द्वितीय स्थान कुमारी रिया अवस्थी ( महर्षि विद्या मंदिर )
तृतीय स्थान मनवीर सिंह ( श्री गुरु नानक मिशन स्कूल )
सांत्वना पुरुष्कार कुमारी जसनूर कौर को दिया गया
विद्यार्थियों द्वारा गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादाँ के प्रेरक चित्र के पोस्टर भी बनाये गए
इस अवसर पर डॉ. मनीष शाह, शिखा पाराशर, डॉ. शिवमणि मिश्रा, डॉ. अंजु पाठक, डॉ. विपिन चन्द्र राय, डॉ विमल शुक्ला्, शशि दुबे, डॉ संध्या कोष्टा , रत्नेश नामदेव, डॉ. प्रमोद विश्वकर्मा आदि उपस्थित रहे।कार्यक्रम का संचालन राजवीर कौर ने किया एवं आभार प्रदर्शन जी.एस. वालिया,द्वारा किया गया।