भोपाल से रीठा साहिब तक आध्यात्मिक यात्रा सम्पन्न

सिख श्रद्धालुओं का जत्था लौटकर पहुंचा रानी कमलापति स्टेशन, सेवा भाव से भरी रही पूरी यात्रा

 

भोपाल से सिख श्रद्धालुओं का एक जत्था 7 मई को ऐतिहासिक गुरुद्वारा नानक रीठा साहिब (उत्तराखंड) के दर्शन हेतु रवाना हुआ था, जो 10 मई की रात सकुशल लौटकर 11 मई की सुबह भोपाल के रानी कमलापति स्टेशन पहुंचा।

करीब 30 श्रद्धालुओं के इस जत्थे में पुरुष, महिलाएं और बच्चे शामिल थे। यात्रा का संचालन बिट्टू वीरजी और उनके पुत्र डॉ. हरमिंदर सिंह सोनू ने किया। श्रद्धालुओं की सेवा में मुकेश केसवानी और भगवान दास राजेश विशेष रूप से सक्रिय रहे।

रास्ते में कई ऐतिहासिक गुरुद्वारों के दर्शन

7 मई को रानी कमलापति स्टेशन से अरदास के साथ यात्रा आरंभ हुई। जत्था खींचा स्टेशन पहुंचकर बस द्वारा उत्तराखंड रवाना हुआ। मार्ग में गुरुद्वारा नानकपुरी, भंडारा साहिब सहित कई पवित्र स्थलों के दर्शन किए गए। 8 मई की रात जत्था गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब पहुंचा, जहां लंगर छकने के पश्चात विश्राम किया गया।

नानक रीठा साहिब में मिला अध्यात्म और प्रकृति का संगम

9 मई को जत्था लगभग 200 किलोमीटर की पहाड़ी यात्रा कर दोपहर में गुरुद्वारा नानक रीठा साहिब पहुंचा। यहां श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, लंगर छका, रेहरास साहिब का पाठ और कीर्तन में भाग लिया। यह गुरुद्वारा गुरु नानक देव जी से जुड़ी उस ऐतिहासिक घटना का प्रतीक है, जब उन्होंने एक कड़वे रीठे को मीठा बना दिया था। रीठा साहिब लधिया और रतिया नदियों के संगम पर स्थित है, जो इसे और भी रमणीय बनाता है।

श्रद्धालुओं ने नदी में स्नान कर और आसपास के ढाबों में भोजन कर यात्रा का आनंद उठाया। कई श्रद्धालुओं के लिए यह पहला अवसर था जब उन्होंने इस पवित्र स्थल के दर्शन किए।

10 मई को जत्था रवाना होकर 11 मई को भोपाल लौटा

10 मई की सुबह जत्था वापसी के लिए रवाना हुआ। दोपहर में पुनः नानकमत्ता साहिब रुककर लंगर छका और शाम को खींचा स्टेशन होते हुए 11 मई की सुबह भोपाल पहुंचा, जहां रानी कमलापति स्टेशन पर शुक्राने की अरदास की गई।

सेवा भाव रहा यात्रा का मूल उद्देश्य

बिट्टू वीरजी ने बताया कि हर वर्ष ऐसे ऐतिहासिक गुरुद्वारों की यात्राएं कराई जाती हैं, ताकि संगत सेवा भाव से जुड़े और वे लोग भी दर्शन कर सकें जो अकेले यात्रा नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि पूरे सफर के दौरान भोजन, विश्राम और अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं का विशेष ध्यान रखा गया।

श्रद्धालुओं ने भी इस यात्रा को यादगार और आत्मिक अनुभव बताया। सभी ने सेवा, सहयोग और संगत की भावना से मिलकर यात्रा को सफल बनाया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *