एम्स भोपाल के छात्र को शोध के लिए आईसीएमआर-पीजी थीसिस वित्तीय सहायता प्राप्त

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक और सीईओ प्रो. (डॉ.) अजय सिंह, ने बायोकेमिस्ट्री विभाग के स्नातकोत्तर (एमडी) छात्र डॉ. करमुगिल तमिल को अत्यधिक प्रतिस्पर्धी आईसीएमआर-पीजी थीसिस 2023 वित्तीय सहायता प्राप्त करने पर गर्व से बधाई दी है। 1,000 से अधिक आवेदकों में से. डॉ. करमुगिल को उनके अभूतपूर्व शोध प्रस्ताव के लिए 1 लाख रुपये का अनुदान दिया गया।

डॉ. करमुगिल का शोध एम्स भोपाल में इलाज किए गए क्रोनिक राइनोसिनसिसिटिस और ब्रोन्किइक्टेसिस के रोगियों में सीरम IgA के स्तर का मूल्यांकन करने पर केंद्रित होगा। इस अध्ययन का उ‌द्देश्य इन स्थितियों से जुड़े आवर्तक संक्रमों के रोगजनन की समझ को गहरा करना है, जो भारतीय आबादी को महत्वपूर्ण रुप से प्रभावित करते हैं। इस शोध के निष्कर्षों से इन रोगों के लिए बेहतर प्रबंधन और उपचार रणनीतियों में योगदान मिलने की उम्मीद है।

प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने डॉ. करमुगिल के समर्पण और उनके शोध के संभावित प्रभाव के लिए अपनी प्रशंसा व्यक्त की। “यह उपलब्धि न केवल हमारे छात्रों की शैक्षणिक उत्कृष्टता को उजागर करती है, बल्कि भारत में महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मुर्दो को संबोधित करने वाले चिकित्सा अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए एम्स भोपाल की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करती है। डॉ. करमुगिल का काम क्रोनिक राइनोसिनसाइटिस और ब्रोन्किइक्टेसिस के प्रबंधन में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा, जिससे अंततः देश भर के रोगियों को लाभ होगा।”

डॉ. करमुगिल का शोध बायोकेमिस्ट्री के प्रोफेसर डॉ. अश्विन कोटनीस के विशेषज्ञ मार्गदर्शन में किया जाएगा, जिसमें डॉ. विकास गुप्ता, अतिरिक्त प्रोफेसर और डॉ. शैला सिडाम, ओटोर हिनोलैरिंगोलॉजी की एसोसिएट प्रोफेसर का सह-मार्गदर्शन होगा। शोध दल में पल्मोनरी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. अलकेश खुराना और बायोकेमिस्ट्री के प्रोफेसर डॉ. जगत आर, कंवर भी शामिल हैं. जो अध्ययन के लिए एक व्यापक और बहु-विषयक दृष्टिकोण सुनिश्चित करते हैं।

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