अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में बुधवार, 7 अगस्त 2024 को भारत भर के आपातकालीन विभागों में भीड़भाड़ से निपटने की रणनीतियाँ विषय पर एक दो दिवसीय राष्ट्रीय परामर्श बैठक का उद्घाटन हुआ। इस अवसर पर वर्चुअल रूप से जुड़े स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव, श्री अपूर्व चंद्रा ने एम्स भोपाल के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि सीमित संसाधनों के बावजूद एम्स भोपाल अपने ट्रॉमा और इमरजेंसी मेडिसिन विभाग का कुशलता से संचालन कर रहा है। आपातकालीन चिकित्सा एक विशेष क्षेत्र है, और में प्रो. (डॉ) अजय सिंह को इमरजेंसी मेडिसिन से सबंधित पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए मंत्रालय और नीति आयोग में प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित करता हूँ। संयुक्त सचिव, सुश्री अंकिता शर्मा बुंदेला ने वर्चुअल माध्यम से आयोजकों को बधाई देते हुए कहा, “ट्रॉमा और आपातकालीन मामलों को संभालना बहुत चुनौतीपूर्ण है। इस क्षेत्र में समर्पित और प्रशिक्षित मानव संसाधन की आवश्यकता है।”
एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ) अजय सिंह, ने भीड़भाड़ की गंभीर समस्या को रेखांकित करते हुए कहा, भीड़भाड़ एक गंभीर चिंता का विषय है, और हमें इसे कुशलता से संभालना होगा। हमने एक राज्य, एक स्वास्थ्य, एक आपातकालीन के लिए एसओपी विकसित की है। इस एसओपी को उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में लागू करने की दिशा में कार्य किए जा रहे हैं। जिसके फलस्वरूप संपूर्ण प्रदेश में एम्स के मानकों के अनुसार लोगों का इलाज किया जा सकेगा। मुझे यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि एम्स भोपाल ने एक विशेष बाल चिकित्सा आपातकालीन इकाई स्थापित की है, क्योंकि बच्चों की जरूरतें अलग होती हैं।”
इंडसैम के सीईओ डॉ. सागर सी. गलवणकर ने आपातकालीन चिकित्सा के क्षेत्र में अभिनव दृष्टिकोण और समर्पित प्रयासों के महत्व पर जोर दिया। डॉ. सागर ने कहा, “आपातकालीन विभागों में भीड़भाड़ एक गंभीर मुद्दा है, जिसके लिए तत्काल और अभिनव समाधान की आवश्यकता है। पिछले 20 वर्षों से. हम इंडसेम में आपातकालीन चिकित्सा के क्षेत्र को आगे बढ़ाने, विशेष इकाइयों की स्थापना करने और उत्कृष्टता और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारे प्रयासों को पारंपरिक दृष्टिकोणों से आगे बढ़ना चाहिए. हमें व्यापक रणनीति विकसित करने के लिए बॉक्स के बाहर सोचने की आवश्यकता है जो आपातकालीन विभागों में बढ़ते रोगी भार को प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर सके।
एम्स नई दिल्ली के डॉ. संजीव भोई और विश्व स्वास्थ्य संगठन सहयोग केंद्र के निदेशक ने कहा कि इस क्षेत्र में प्रशिक्षित जनशक्ति की भूमिका को स्वीकार करना भी आवश्यक है। हमें पैरामेडिक्स और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े अन्य लोगों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश करना होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे आपातकालीन मामलों में कुशलतापूर्वक अपनी भूमिका निभा सकें। दुर्घटना स्थल से अस्पताल पहुँचने तक का महत्वपूर्ण समय, जीवन बचाने के लिए महत्वपूर्ण है, और हमारा ध्यान त्वरित और कुशल हस्तक्षेप के माध्यम से इस अवधि को अनुकूलित करने पर होना चाहिए।
बैठक में आपातकालीन चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं पर विभिन्न सत्र शामिल थे, जैसे भीड़भाड़ की चुनौतियाँ, सिमुलेशन और शिक्षा, टेलीमेडिसिन, और क्षमता प्रबंधन। प्रतिभागियों ने गहन चर्चाओं में भाग लिया, अपने विचार साझा किए और भारत भर में आपातकालीन सेवाओं में सुधार के लिए नवीन समाधान प्रस्तावित किए। इस कार्यक्रम में देश भर से 150 से अधिक विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिसका उद्देश्य आपातकालीन विभागों में भीड़भाड़ की गंभीर समस्या का समाधान करना था।