एम्स भोपाल में आज 6 जुलाई 2024 को 76वें आईएसएसएच बेसिक कोर्स की शुरुआत हुई, जो मध्य भारत में अपनी तरह की पहली कार्यशाला है। यह दो दिवसीय कार्यक्रम, एम्स भोपाल के ऑर्थोपेडिक्स विभाग द्वारा बर्स और प्लास्टिक सर्जरी विभाग और भोपाल ऑर्थोपेडिक सर्जन्स सोसाइटी (बीओएसएस) के सहयोग इंडियन सोसाइटी फॉर सर्जरी ऑफ द हैंड (आईएसएसएच) के तत्वावधान में आयोजित किया गया है।
कार्यशाला का उद्घाटन एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ) अजय सिंह ने किया, जिन्होंने हाथ की सर्जरी के महत्व पर चर्चा की। “हाथ की सर्जरी बहुत एक बहुत ही जटिल सर्जरी होती है। शुरुआती चरण में ही, हमें आगे की जटिलताओं को कम करने का प्रयास करना चाहिए। एक और महत्वपूर्ण पहलू कुचले हुए हाथ का प्रबंधन करना है ताकि उसकी अधिकतम कार्यक्षमता सुनिश्चित की जा सके। सभी ऑर्थोपेडिक सर्जनों को हाथ की सर्जरी की मूल बातें सीखनी चाहिए, क्योंकि यह ट्रॉमा केयर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है, प्रो. सिंह ने कहा।
डॉ. जॉन संतोषी ने कार्यशाला में भाग ले रहे प्रतिभागियों का स्वागत किया। भोपाल ऑर्थोपेडिक सर्जन सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. संजय गुप्ता ने हाथ की चोटों के सामाजिक-आर्थिक पहलू पर प्रकाश डालते हुए कहा “90% मामलों में हाथ की चोटें गरीब या निम्न मध्यम वर्ग के व्यक्तियों में होती हैं। यह समझना ज़रूरी है कि हम इन चोटों का बेहतर इलाज कैसे कर सकते हैं।” कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, मणिपाल में ऑर्थोपेडिक्स के पूर्व प्रोफेसर और हाथ और माइक्रोवैस्कुलर स्पेशलिटी के प्रमुख प्रो. डॉ. भास्करानंद कुमार ने कार्यशाला के उद्देश्य पर बात करते हुए कहा, “हमारा मुख्य उद्देश्य हाथों की सुरक्षा और कार्यक्षमता सुनिश्चित करना है। हाथ की चोटों का शीघ्र और सटीक प्रारंभिक मूल्यांकन महत्वपूर्ण है, जिससे समय पर चिकित्सा उपचार और जटिलताएँ कम की जा सकती हैं। कार्यशाला में देश भर से 100 से अधिक ऑर्थोपेडिक और प्लास्टिक सर्जन ने भाग लिया। इस कार्यशाला के द्वारा हाथ की सर्जरी के क्षेत्र में विकसित नए तौर तरीकों को भी सीखने और अपनाने का एक अवसर मिलेगा। हाथ की जटिल बनावट और शारीरिक रचना इसे मानव शरीर का एक अनूठा और महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती है। हाथ में मामूली चोट लगने से भी काफी नुकसान हो सकता है, जिसके लिए गहन चिकित्सा मूल्यांकन और देखभाल की आवश्यकता होती है। इस कार्यशाला का उद्देश्य शल्य चिकित्सकों को हाथ की चोटों के लिए सर्वोत्तम देखभाल प्रदान करने हेतु ज्ञान और कौशल से लैस करना है, जिससे दीर्घकालिक विकलांगता के जोखिम को कम किया जा सके। एम्स में प्रतिवर्ष एक हज़ार से भी अधिक हैंड इंजरी से सम्बंधित मामले आते हैं।