एम्स भोपाल में डॉक्टर और नर्सिंग अधिकारियों के लिए आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का गुरूवार को समापन हुआ। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्राथमिक स्तर पर आम इमरजेंसी, बर्न और ट्रॉमा जैसे मामलों के प्रबंधन के लिए आयोजित किया गया था। एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) अजय सिंह ने कहा कि ट्रॉमा और इमरजेंसी की स्थिति में समय सबसे महत्वपूर्ण होता है। विशेष रूप से पहला घंटा गोल्डन ऑवर कहलाता है। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि यह आवश्यक नहीं कि आप सब कुछ जानते हो और आप सब कुछ कर पाएं। किंतु यह आवश्यक है कि आप जो भी करें उससे मरीज की स्थिति में सुधार हो और जिस किसी भी विभाग में उसको आगे भेजा जाए तो उसका बेहतर इलाज हो सके। इसलिए समय पर की गई प्रतिक्रिया मरीज को एक नया जीवन दे सकती है। आपके मन में कोई भी शंका हो तो निश्चित रूप से उसका समाधान अवश्य करें।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन एम्स भोपाल के ट्रॉमा एवं इमरजेंसी मेडिसिन विभाग तथा मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के सहयोग से किया जा रहा है। सुश्री प्रियंका दास, मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) भोपाल ने कहा कि प्राथमिक स्तर पर आपातकालीन सेवाओं को बेहतर बनाना रोगी परिणामों में सुधार और जीवन बचाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के लिए आयोजित यह प्रशिक्षण कार्यक्रम इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हमारे स्वास्थ्यकर्मियों को उन्नत कौशल और ज्ञान से लैस करके, हम क्षेत्र भर में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमताओं को मजबूत कर पाएंगे।
तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से आए 150 से अधिक डॉक्टर और नर्सिंग अधिकारियों ने भाग लिया। जिन्हें विभिन्न विभागों के विशेषज्ञों ने प्राथमिक स्तर की जानकारी दी। इस कार्यक्रम के द्वारा लगभग 500 डॉक्टर और नर्सिंग अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इस तरह के कुल 17 प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएंगे जो जनवरी 2025 तक चलेंगे। एम्स भोपाल के ट्रॉमा एवं इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ मोहम्मद यूनुस ने इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों की महत्ता के बारे में बताते हुए कहा कि यहां से प्रशिक्षित होने के बाद यह डॉक्टर और नर्सिंग अधिकारी मध्य प्रदेश के विभिन्न स्वास्थ्य केन्द्रों में इमरजेंसी मामलों का बेहतर तरीके से प्रबंधन कर पाएंगे जिससे कि मरीज शीघ्र स्वस्थ होंगे और उनका जीवन बचाया जा सकेगा। ये सभी डॉक्टर एवं नर्सिंग अधिकारी प्रशिक्षण के बाद अपने-अपने स्वास्थ्य केंन्द्र पर जाकर अन्य लोगों को प्रशिक्षित करेंगे ताकि बड़े पैमाने पर प्राथमिक स्तर पर आम इमरजेंसी, बर्न और ट्रॉमा जैसे मामलों का बेहतर प्रबंधन किया जा सके।